Wednesday 27 April 2011

yuva

युवा का मतलब सब कहेंगे जवान लेकिन इसका उल्टा वायु है , वायु को हम कहते हैं हवा , हवा लगातार बोले तोह वाह वाह लगेगा | हर युवा को वाहवाही की चाहत होती है | अब उनके भी अरमानो के पंख निकल आये हैं ........ उन्हें भी ऊपर उड़ने की चाहत है |
आज का युवा बहुत ऊपर उधना चाहता है | वो अपनी बाहें फैलाये आकाश को छूना चाहता है| इन्होने जो राह चुनी है वो है तोह बहुत कठिन पर हमें उनपर भरोसा रख कर उचित सलाह देनी चाहिए | उनकी सफलता पर वाह वाह कहें और उनका हौसला बढ़ाये | क्या पता इनसे कौन हमारे अगले डॉक्टर कलम , लाल बहादुर शास्त्री , लता मंगेशकर , या सचिन तेंदुलकर की तरह बड़े बने और हमारे देश का नाम ऊंचा करे |  
                     



Saturday 9 April 2011

आज के भाग दौड़ भरे जीवन की आपा ,घापी में इंसान इतना उलझ गया है की हँसना ही भूल गया हैं | घरों को ही नहीं दिलो को भी दीवारों में कैद कर दिया हैं |
                                  आज अपनों से भी कोई दिल खोल कर बात नहीं करता जबकि कठिन क्षणों में हमें एक दूसरे के सहारे की बहुत ज़रूरत होती हैं |
                                    तो क्यों न हम इन दीवारों को तोड़ कर प्यार बांटे ?
                                                      प्यार बाँटते चालों
                                        
                                      
                                                       
    
                        

Monday 4 April 2011

विज्ञान का एक नियम है, जो कहता है की हर वस्तु को साफ़ देखने की एक न्यूनतम दूरी होती है | इससे ज्यादा करीब से देखने से चीज़े धुंधली दिखाई देती है | रिश्ते और ज़िन्दगी पर इस नियम का बड़ा गहरा और साफ़ असर है |
                                जो अपने हैं, हम उन्हें समेट लेने में यकीन रखते है ताकि दुनिया की धुप और आंधियां उन तक न पहुँच सके, उन्हें कोई काँटा न चुभें , उनकें चारों तरफ से सुरक्षा का घेरा रखतें हैं | लेकिन इन कोशिशों में भूल जातें है की धुप रौशनी भी देता हैं, आंधियां तूफ़ान से झूझना सिखाती है | कभी कभी अँधेरा भी राहत देता हैं |
                                  बंद मुट्ठी में पंखुडियां मुरझा जाती हैं | हवा, पानी, धूप से ही फूल खिलते हैं, हरियाली चारो ओर छा जाती हैं | जब से वक्त ने धड़कन पायी है तब से राहत और ताज़गी का नाम हवा ही है |
                                    हमारी ज़िन्दगी कें रिश्तों की सारी साँसे इसी से जुडी है | जो खुलकर सांस ले सकें रिश्तें में वही जानदार होते है | कहतें हैं की जो खो गया वो अपना नहीं था | जो अपना है वो खो नहीं सकता हैं |
                        सीलन भरे कमरें की खिडकियों को खोलना ज़रूरी है | लेकिन हम समझ नहीं पाते की मन की कौन-सी दीवार में सीलन बैठ गयी है | और हैरानी की बात यही हैं की भोगती भी हमेशा भीतर की ही दीवार हैं | जिनका ऐसे वाक्यों से वास्ता पड़ा है, वही जानता है की इनको सँभालने में कितने मौसम बीत जाते हैं | भिगोयें रहती हैं लेकिन दिखायीं नहीं देती | वही भीगता है जिसके मन में रिश्तों की महक बाकी हो, रिश्तों में कोई भी कमी न हो ऐसी दुवाओं की ज़रूरत है |
                                       ताकि किसी का भी मन भीगा न हो और न ही उसमे सीलन आये |

                                                प्यार बाँटते चालों

Sunday 3 April 2011

मनुष्य के जीवन में बहुत उतार-चढाव आते  हैं | हमें उससे निराश न होकर आँख में पड़े कांटे की तरह निकालना चाहिए |
            जैसे आँख में पड़े तिनके को हलकी सी फूँक मार कर ही निकाला जाता हैं | आँखे मलने से या कुछ अन्य उपाए करने से आँखे लाल होने की संभावना ही अधिक होती हैं उसी तरह जीवन में आई कठिनाइयों को सहजता से लेना चाहिए |
                                                  प्यार बाँटते चालों